एक स्टूडेंट के लिए कितनी नींद जरूरी है? स्कूली बच्चों को स्वस्थय निरोगी बने रहने के नींद को कभी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। आज की व्यस्त और भागमभाग की जिंदगी में नींद पीछे छूट रही है और लोग अनिद्रा के शिकार हो रहे हैं। बच्चो के लिए पर्याप्त नींदलेना जरूरी है। अन्यथा हो सकता है स्वास्थय पर गंभीर असर |
नवजात शिशु से लेकर सौ साल के वृद्ध व्यक्ति को नींद की जरूरत होती है। हालांकि नींद को अवधि उम्र और उसकी कार्यशीलता पर भी निर्भर करती है। लेकिन आज बच्चे, युवा, प्रौढ़ और वृद्ध सभी की नींद अधूरी है।
आखिर क्यों नहीं आती नींद रात भर ?
स्कूल जाने वाले बच्चो और किशोरों में नींद को कभी एक गंभीर चिंता की बात है। इसे सामान्य बात समझकर अनदेखा नहीं करना चाहिए। इसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है |
स्कूली बच्चों में नींद को कमी से उनका शैक्षणिक प्रदर्शन खराब होता है। वे पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं। परीक्षा में उनींदे ( बहुत जागने की वजह से अलसाया हुआ) रहते हैं। उनकी याददाश्त कमजोर हो जाती है।
वयस्क पर्याप्त नींद न होने की समस्या से जूझ रहे है। इस बीच अब बच्चों में भी
बढ़ रही है ये समस्या । स्कूली बच्चो में यादास्त कि समस्या से पीड़ित हो रहे हैं। इससे बच्चों में बायोलॉजिकल बदलाव भी होना शुरू हो गए है। जिससे उनके स्वास्थ्य का जोखिम बढ़ रहा है। इसमें मूड बदलना और ध्यान में कमी और इंपल्स कंट्रोल कम होने जैसे किशोर अनिद्रा या पर्याप्त नींद में
स्कूली बच्चों में नींद की कमी एक स्टूडेंट के लिए कितनी नींद जरूरी है?
परिणाम भी सामने आ रहे हैं। बच्चों की सेहत के लिए 8 से 10 घंटे नींद लेना जरूरी है | स्कूली बच्चे छोटे-छोटे बदलावों में पर्याप्त नींद लेकर बड़े फायदे अर्जित कर सकते है। बच्चो के चिकत्सको के अनुसार, नींद न होने से वयस्कों के तरह, किशोरों को विचारों में फंसने का सामना करना पड़ रहा है। छोटे बच्चों को सोने के लिए मेलेटोनिन देने से बड़े होने पर घातक परिणाम सामने आते हैं।
गए काम और कल को योजना लिख सकते है। है, साथ ही कोई भी चिंताएं। रात को, माता-पिता को अपने बच्चों को बताना चाहिए कि अगर व 20 या 30 मिनट से अधिक बिस्तर से उठे हुए हैं, तो वे एक किताब पड़ सकते हैं या शांति देने वाला
संगीत सुन सकते हैं। इसके अलावा, साईडफूल एक्टिविटी कर और स्क्रीन टाइम घटाकर भी नींद ली सकती हैं।
जंक फूड खाने में लोगों में गहरी नींद (डीप स्लिप) की क़्वालिटी प्रभावती होती है। जिसका लोगों की यादास्त और इम्युनिटी पर असर होता है। स्वीडन की यूनिवर्सिटी के अध्ययन में इस बात का पता लगया गया कि जंक फूड लोगों को नींद को कैसे प्रभावित करते हैं |
जर्नल ऑफ ओबेसिटी में प्रकाशित इस स्टडी में कहा गया है कि जंक फूड खाने के बाद लोगों को हेल्दी डाइट लेने वाले लोगों की तुलना में कम गहरी नींद आती है। यह रिसर्च 15 स्वस्य युवाओं पर दो हिस्सों में को गई थी। जो रोज 7 से 9 घंटे रोज सोते थे। इसके बाद इन सभी लोगों को बारी-चारों से हेल्दी और जंक फूड दिया गया। जिसमें लोगों की जरूरत के मुताबिक कैलोरी थी। जंक फूड में ज्यादा शुगर और फेट वाला प्रोसेस्ड फूड आइटम शामिल थे। ऐसा खाना देने के बाद सभी की निगरानी की गई थी। तो सामने आया है कि जंक बच्चे अपने दिन के पहले से ही किए फूड खाने बालों को नींद कम गहरी होती
उपसला यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर जोनाथन सेडनेस का कहना है कि कमजोर डाइट और कम नींद दोनों के कारण लोगों के स्वास्थ्य के बिगड़ने को संभावनाएं बढ़ जाती है। एक्सपर्ट का मानना है कि डोप स्लिप नींद की तीसरी स्टेज है, जो याददाश्त, मसल पाँच और इम्युनिटी को बाती है।
किसी व्यक्ति को रोजाना कितने घंटे सोना चाहिए, जानते हैं आप?
अमेरिका के नेशनल स्लिप फाउंडेशन ने एक अध्ययन किया है, जिसमें नवजात शिशु से लेकर बुजुर्ग तक के सोने को अवधि को जानकारी दी गई है। यह सर्वेक्षण नेशनल स्लिप फाउंडेशन के स्लिप, एनोटीभी, फिजियोलॉजी, पेडियाटिक्स, न्यूरोलॉजी, जेरोटोलॉजी तथा गायनोकोलॉजी के विशेषज्ञों ने किय। यह पहली बार है जब किसी प्रोफेशनल संगठन ने नींद को लेकर इतना विस्तार में अध्ययन कर अनुशंसा को है।
विशेषज्ञों के अनुसार, 0-3 माह के शिशु को 14 से 17 घंटे, 4-11 माह के शिशु को 12 से 15 घंटे, और 1-2 वर्ष के बच्चे को 11 से 14 घंटे की नींद लेनी चाहिए। 3-5 वर्ष की आयु के बच्चे को 10 से 13 घंटे तथा 6-13 वर्ष के बच्चे को 9 से 11 घंटे की नींद पर्याप्त है। किशोर यानी 14-17 वर्ष के किशोरों के 8 से 10 घंटों को नींद जरूरी है।
क्या आप नींद के दुश्मनों को पहचानते हैं?
नहीं तो जान लें। नींद का सबसे बड़ा दुश्मन तनाव है। यदि आप किसी अज्ञात भय या अनिष्ट की आशंका से ग्रसित है, तो भी आप भी नहीं पाएंगे। भय या हर नींद उड़ा देता है।
मौसम और नींद का भी गहरा सम्बंध है। अत्यधिक गर्मी या अत्यधिक ठंड नींद में खलल डालती है। अच्छी नींद के लिए 20 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। कुछ लोगों को आदत होती है कि वे
सोते समय सारे मैसेज और ई-मेल चेक करते हैं तथा उनका जवाब भी देते हैं, जो उनकी नींद उड़ा देता है।
सोने के समय कम से कम दो घंटे पूर्व भोजन कर लेना चाहिए। जरूरत से ज्यादा खा लेने से बेचैनी होने लगती है, जो आपको सोने नहीं देती। इसी प्रकार, भूखे पेट भी नींद नहीं आती हैं |