हल्दी के 10 औषधीय गुण

हल्दी में होते अनेक औषधीय गुण

हल्दी के 10 औषधीय गुण- जहां एक तरफ धार्मिक दृष्टि से पवित्र एवं शुभ मानी जाती है तथा प्रत्येक घर में सब्जियों में हल्दी का प्रयोग होता है वहीं दूसरी तरफ इसके अनेक औषधीय गुण है जो हमारे लिए स्वास्थ्य- वर्धक हैं।

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हल्दी स्वभाव में तिक्त, रूक्ष, वर्ण करने वाली तथा कफ, पित्त, त्वचा के दोष, रक्तदोष, सूजन, मधुमेह एवं वण को दूर कर राहत पहुंचाने वाली है।

आयुर्वेद को अनेक औषधियों के निर्माण में हल्दी का प्रयोग होता है। आयुर्वेदिक तेल, घृत, आसव आरिष्टों एवं चूणों में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। पारद संहिता में हल्दों के काल्प का वर्णन किया गया है। हल्दी के प्रमुख औषधीय गुण इस प्रकार हैं-

चोट लगने पर हल्दी के 10 औषधीय गुण

यदि शरीर के किसी भी भाग में चाट लग गई हो और वहां सूजन आ गई हो तो हल्दी पीसकर एवं उसमें चूना मिलाकर चोट लगे स्थान पर लेप करना चाहिए। यदि चोट भीतरी हो तो गाय के गुनगुने दूध में हल्दी का चूर्ण मिलाकर पिलाना चाहिए। ऐसा करने से दर्द कम हो जाता है और यदि घाव हो गया हो तो इसका लेप लगाने से

धान के कोड़े नष्ट हो जाते हैं। इस तरह यह कीटनाशक भी है। व्रण पर इसका चूर्ण रखने पर पाच शीघ्र भर जाता है।

घाव में आराम हल्दी के 10 औषधीय गुण

यदि पाव हो गया हो तो भाव पर दूसरा लेप लगाना चाहिए। यदि फोड़ा फूटा हुआ न हो तो अलसी के पुल्टिस में हल्दी मिलाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा जल्दी पक कर फूट जाता है एवं मवाद बाहर आ जाता है और घाव जल्दी ही ठीक हो जाता है।

एलर्जी में लाभदायक

हल्दी का प्रयोग चर्म रोग जुकाम एवं श्वास की एलजों में लाभदायक होता है।

खांसी में लाभदायक

हल्दी सात माशा, आमी हल्दी दो माशा, इन दोनों को पानों के साथ पीसकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बनाकर सुबह एवं शाम जल के साथ सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है। यदि खांसी सूखी हो तो गर्म दूध में हल्दी का एक चम्मच चूर्ण मिलाकर पीने से खांसी डोली हो जाती है एवं कफ बाहर आ जाता है सूखी खांसी में शहद के साथ भी हल्दी का सेवन उपयोगी होता है। इनकी गोलियां बना लेनी चाहिए। एवं जब खांसी आए तो मुंह में रखकर

चूसना चाहिए, इससे खांसी का वेग कम हों जाता है।

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नेत्र रोग में उपयोगी हल्दी के 10 औषधीय गुण

आंख सम्बंधी बीमारियों में हल्दी विशेष उपयोगी होती है। यदि आंख ताल हो गई हो तो आंखों पर हल्दी का लेप करने से लालिमा समाप्त हो जाती है। हल्दों को महीन पीसकर कपड़े से छान लेना चाहिए। रात को सोते वक्त सलाई से आंखों में लगाना चाहिए। ऐसा करने से आंख को ज्योति बहुतों है।

उदर गैस में लाभदायक

यदि पेट में गैस बन रही हो तो पिसी हुई हल्दी 10 रत्ती एवं इतनी ही मात्रा में काला नमक मिलाकर गर्म जल के साथ सेवन करने से तत्लकाल लाभ पहुंचता है।

दांत रोग में उपयोगी

यदि दांत में दर्द होता हो या अन्य विकार हो तो हल्दी का मंजन विशेष उपयोगी होता है। मंजन बनाने हेतु हल्दी की गांठ को धीमी आंच पर भूनना चाहिए और भूनकर इसे बारीक पीस कर कपड़ा से छान लेना चाहिए। इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर शीशी में रख लेना चाहिए एवं प्रतिदिन प्रात:काल तथा सायं खाने से पूर्व इसका मंजन करना चाहिए।

कान रोग में उपयोगी

कान बहने, कान दर्द, कान में पीव यामवाद होने पर हल्दी का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है। कान की तकलीफ होने पर हल्दी को उसके मात्रा से दोगुने पानी में महीन पीसकर छान लेना चाहिए। इसके बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकाना चाहिए। जच जाकर मात्र तेल रह जाए तो उसे शोशी में रख लेना चाहिए और जब भी कान सम्बंधी तकलीफ हो तो थोड़ा गुनगुना करके दो-तीन बूढ़े कान में डालना चाहिए। कान को किसों भी प्रकार को तकलीफ में इससे आराम मिलता है।

मुख सम्बंधी रोगों में भी लाभदायक

मुख सम्बंधों तकलीफ तथा हलक, तालू एवं मुंह में छाले पड़ जाने को स्थिति में या गले में गिल्टियां निकल आने की स्थिति में हल्दी का सेवन उपयोगी होता है। मुंह में छाले पड़ने पर एक तोला हल्दी को कूट-पीसकर एक लीटर पानी में उबालना चाहिए। जब खूब उबल जाए तो उतार कर ठंडा कर लेना चाहिए एवं सुबह-शाम कुल्ला करना चाहिए। ऐसा करने से मुख के अन्दर के छाले ठीक हो जाते हैं तथा जलन समाप्त हो जाती है।

यदि गले में गिल्टियां निकल आई हों तो हल्दी को महीन पीसकर छः माशा की मात्रा में सुबह जल के साथ सेवन करना चाहिए। साथ ही साथ हल्दी को पानी में पीसकर हल्का गर्म करके गले पर लेप करना भी लाभदायक होता है।

सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में हल्दी का प्रयोग

सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में भी हल्दी का विशेष उपयोग किया जाता है। अनेक आयुर्वेदिक क्रीमों में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। विवाह से पूर्व लड़कियों एवं लड़कों को हल्दी लगाने का विधान है। जिसका मुख्य कारण यह है कि हल्दो का लेप लगाने से त्वचा कांतिमय हो जाती है एवं रंग गोरा हो जाता है।

हल्दी के साथ चन्दन का लेप लगाना सौदर्य में अभिवृद्धि कर देता है। रात के समय सोते वक्त चेहरे पर हल्दी का लेप लगाना चाहिए एवं प्रात: काल उठकर हल्के गुनगुने पानी से धो डालना चाहिए। ऐसा कुछ दिन नियमित रूप से करने पर चेहरे की कांति खिन रडती है एक चेहरा सुन्दर सुकोमल हो जाता है। 

हल्दी के 10 औषधीय गुण-Dr Shraddha Dhote
हल्दी के 10 औषधीय गुण-Dr Shraddha Dhote

क्या हल्दी के कोई साइड इफ़ेक्ट है ? (Is any Side effects of Turmeric?)

Side effect of Turmeric By Best Ayurvedic Doctor dr Shraddha Dhote

हल्दी की ज्यादा मात्रा में खुराक लेना शरीर में रक्त को पतला करने वाला प्रभाव पड़ सकता है, यदि हल्दी को रक्त को पतला करने वाली किसी दवा के साथ लिया जाए, तो इससे खतरनाक रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है। लीवर या पित्त नली की समस्या वाले लोगों को हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पित्त बढ़ सकता है। हल्दी में मुख्य बायोएक्टिव घटक करक्यूमिन, सूजन-रोधी गुणों वाला एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। हालाँकि, जबकि हल्दी और करक्यूमिन आम तौर पर खाने के लिए सुरक्षित हैं, अच्छी चीज़ों की भी बहुत अधिक मात्रा खतरनाक हो सकती है। इसके जोखिमों में से एक यह है कि हल्दी की ज्यादा खुराक आपकी किडनी के लिए खराब हो सकती है।

हमे हल्दी लेनी कब बंद कर देना चाहिए (When should we stop taking turmeric)

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हमे हल्दी लेनी कब बंद कर देना चाहिए (When should we stop taking turmeric)

अगर आप हल्दी का सेवन कर रहे रहे है तो इन संकेत को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए जिनमे से त्वचा या आंखों में खुजली होना एक आम समस्या है, आँखे पिली पड़ना,अगर गहरे रंग का मूत्र आता हो तो तुरंत हल्दी का सेवन रोक दे , इसके अलावा मतली, उल्टी, असामान्य थकान, कमजोरी, पेट या पेट में दर्द, या भूख न लगना शामिल हैं। यही जोखिम हल्दी के अन्य उत्पादों पर भी लागू होता है, जिनमें करकुमा एरोमैटिका, करकुमा ज़ैंथोरिज़ा और करकुमा ज़ेडोएरिया शामिल हैं।जिन लोगों को हल्दी नहीं लेनी चाहिए उनमें पित्ताशय की समस्या, रक्तस्राव विकार, मधुमेह, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी), बांझपन, आयरन की कमी, यकृत रोग, हार्मोन-संवेदनशील स्थिति और अतालता शामिल हैं। गर्भवती महिलाओं और सर्जरी कराने वालों को हल्दी का बिलकुल उपयोग रोक देना चाहिए।

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